आवरण पृष्ठ - अक्टूबर 2016

मोहे श्याम रंग देइ दे
त्वचा के रंग पर राजनीति

राजनीति अगर सत्ता संघर्ष को कहते हैं, तो त्वचा के रंग के साथ राजनीति तब से जारी है जब शासक वर्ग का सौंदर्य बोध पूरे समाज समाज द्वारा अपना लिया गया था। पहले आर्य, फिर अरब और मुगल, उसके बाद अँग्रेज। जिस देश के तीनों प्रमुख देवता राम, कृष्ण और शिव काले हैं और जहाँ के लोगों के मन पर साँवली द्रौपदी राज करती है, वहाँ गोरापन औद्योगिक अर्थशास्त्र का एक मिथक नहीं तो क्या है? सुघड़ कलाकार नंदिता दास पूछती हैं : क्या फेयर ही लवली है? त्वचा के रंग, सुंदरता की परिभाषा और स्त्री जीवन के लक्ष्य – सभी पहेलुओं को समेटती हुए आवरण कथा। पेश कर रही हैं सविता पाठक

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